Indian cartoonist jagota Delhi
TRYING TO LIFT BIG THINGS WITH THE HELP OF BLACK THIN LINES
Friday, March 13, 2009
मेरी बात
व्यंग की भाषा बोलना मेरे हिसाब से कुछ ऐसा
है
मानो किसी किताब को अन्तिम पन्ने से पढ़ना
मगर कुछ बुधिजीवीओं को शायद ये पसंद नही आए लेकिन कोई कार्टून ड्राइंग रूम की दिवार पर
लटकी पेंटिंग नहीं कार्टून तो कभी कभी एक मच्छर जैसा तकलीफदेह भी हो सकता है
आज का पंगा
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