Tuesday, March 15, 2011

चिंता

2 comments:

  1. गरीब की भी व्यथा होती है.

    ReplyDelete
  2. आप पापड़ बनें या सूखकर काँटा, किसको परवाह है? फिर भी लोग उन्हीं लोगों के पिछलग्गू बने हुए हैं तो चुनाव जीतकर अपने चयनकर्ताओं को ही हलाल करते हैं।

    ReplyDelete